हवाई यात्रा को दुनिया में सबसे सुरक्षित यात्रा माध्यम माना जाता है, लेकिन जब भी कोई प्लेन क्रैश (विमान दुर्घटना) होता है, तो यह बेहद दर्दनाक और गंभीर घटना होती है। सवाल उठता है कि प्लेन क्रैश क्यों होता है? इसके पीछे कई तकनीकी, मानवीय और प्राकृतिक कारण हो सकते हैं। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि प्लेन क्रैश कैसे और क्यों होते हैं।
यह सबसे सामान्य कारणों में से एक है। किसी भी एयरक्राफ्ट में हजारों पुर्जे होते हैं और ज़रा सी तकनीकी गड़बड़ी बड़ा हादसा बन सकती है। जैसे:
70% से अधिक हवाई दुर्घटनाएं मानव त्रुटि (Human Error) के कारण होती हैं। इनमें शामिल हैं:
मौसम भी प्लेन क्रैश का बड़ा कारण हो सकता है। विशेषकर:
जब उड़ते समय कोई पक्षी एयरक्राफ्ट के इंजन या विंडशील्ड से टकराता है, तो इसे बर्ड स्ट्राइक कहते हैं। यह खासतौर पर टेकऑफ या लैंडिंग के समय होता है और इंजन डैमेज का कारण बन सकता है।
अगर एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) से गलत निर्देश मिलें या संचार सही न हो, तो दो विमानों के बीच टकराव की स्थिति बन सकती है।
कुछ दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं में जानबूझकर विमान को क्रैश कराने की साजिशें भी रही हैं। जैसे:
अगर उड़ान से पहले ईंधन की प्लानिंग सही नहीं होती या हवा में लीकेज हो जाता है, तो इंजन बंद हो सकता है और विमान क्रैश कर सकता है।
कारण | अनुमानित प्रतिशत |
---|---|
पायलट की गलती | 70% |
तकनीकी खराबी | 15% |
मौसम | 10% |
अन्य (बर्ड स्ट्राइक, हाइजैकिंग) | 5% |
हालांकि प्लेन क्रैश की खबरें बहुत दर्दनाक होती हैं, लेकिन आधुनिक तकनीक और सुरक्षा उपायों की वजह से आज हवाई यात्रा पहले से कहीं ज्यादा सुरक्षित है। अधिकांश दुर्घटनाएं रोकी जा सकती हैं यदि समय पर जाँच, सटीक निर्णय और उन्नत तकनीकों का प्रयोग किया जाए।
हाँ, आँकड़ों के अनुसार हवाई यात्रा सड़क या रेल यात्रा की तुलना में अधिक सुरक्षित मानी जाती है।
प्लेन में दो या अधिक इंजन होते हैं। अगर एक इंजन फेल हो जाए, तो दूसरे इंजन से विमान को सुरक्षित लैंड कराया जा सकता है।
विश्व स्तर पर औसतन 10–15 प्रमुख विमान दुर्घटनाएँ होती हैं, जिनमें से अधिकतर में मानवीय या तकनीकी त्रुटियाँ होती हैं।
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