क्या आपने कभी सोचा है कि इतना भारी भरकम हवाई जहाज आखिर आसमान में कैसे उड़ता है? इसमें कौन सी ताकत या तकनीक काम करती है जिससे यह ज़मीन से उठकर हज़ारों फीट ऊपर उड़ान भरता है? इस लेख में हम आपको बताएंगे कि एयरोप्लेन कैसे उड़ता है, इसके पीछे का विज्ञान क्या है, और किन प्रमुख हिस्सों की इसमें भूमिका होती है।
एयरोप्लेन उड़ने के लिए "बर्नौली का सिद्धांत" (Bernoulli's Principle) और न्यूटन का तीसरा नियम इस्तेमाल करता है:
जब हवा एक सतह पर से तेज़ी से गुजरती है, तो वहाँ का दबाव कम हो जाता है। एयरोप्लेन के पंख (wings) इस तरह डिज़ाइन किए जाते हैं कि ऊपर से हवा तेज़ जाती है और नीचे से धीमी। इससे ऊपर की ओर एक बल (Lift) उत्पन्न होता है।
"हर क्रिया की समान और विपरीत प्रतिक्रिया होती है"। जब इंजन से थ्रस्ट (Thrust) पीछे की ओर डाला जाता है, तो प्रतिक्रिया में विमान आगे बढ़ता है।
Lift (उत्थान) – ऊपर की दिशा में लगने वाली ताकत जो विमान को उड़ाती है।
Weight (वजन) – विमान को नीचे खींचने वाली गुरुत्वाकर्षण शक्ति।
Thrust (गति बल) – इंजन द्वारा उत्पन्न किया गया बल जो विमान को आगे बढ़ाता है।
Drag (विरोध बल) – हवा का विरोध जो विमान की गति को धीमा करता है।
विंग्स (पंख) – लिफ्ट उत्पन्न करने के लिए
फ्यूसलाज (मुख्य ढांचा) – यात्री और माल के लिए
टेल (पूंछ) – संतुलन और दिशा के लिए
इंजन (Jet Engine) – थ्रस्ट प्रदान करने के लिए
लैंडिंग गियर – टेक-ऑफ और लैंडिंग के समय सहारा देने के लिए
टेकऑफ (Takeoff) – इंजन की शक्ति से विमान रनवे पर तेजी से दौड़ता है और लिफ्ट के कारण उड़ जाता है।
क्लाइंबिंग (चढ़ाई) – विमान ऊंचाई बढ़ाता है और स्थिर गति पर पहुँचता है।
क्रूज़ (Cruise) – विमान संतुलित गति और ऊंचाई पर उड़ता है।
डिसेंट और लैंडिंग – पायलट विमान की ऊंचाई कम करता है और रनवे पर उतारता है।
एक सामान्य पैसेंजर जेट लगभग 900 किमी/घंटा की रफ्तार से उड़ता है।
हवाई जहाज के पंख विशेष रूप से इस तरह डिजाइन होते हैं कि वे हवा को काटते हुए लिफ्ट पैदा करें।
सबसे पहला सफल हवाई जहाज 1903 में राइट ब्रदर्स द्वारा उड़ाया गया था।
अब आप जान चुके हैं कि एयरोप्लेन कैसे उड़ता है। यह केवल पायलट का कमाल नहीं, बल्कि विज्ञान, इंजीनियरिंग और एयरोडायनामिक्स का एक अद्भुत मेल है। अगली बार जब आप फ्लाइट में हों, तो ज़रूर याद कीजिएगा कि आपके चारों ओर कितनी टेक्नोलॉजी काम कर रही है।
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