बुरेन बुफे (Warren Buffett) दुनिया के सबसे सफल निवेशकों में से एक माने जाते हैं। उनका जन्म 30 अगस्त 1930 को ओमाहा, नेब्रास्का में हुआ था। उन्हें निवेश और व्यापार के क्षेत्र में उनके असाधारण निर्णयों और सरल जीवन शैली के लिए जाना जाता है। यहाँ उनकी सफलता की कहानी है:
बुफे बचपन से ही पैसे कमाने के तरीके खोजते थे। उन्होंने 6 साल की उम्र में अपने दादा की दुकान से 6 कोका-कोला की बोतलें खरीदकर उन्हें अपने पड़ोस में बेचकर मुनाफा कमाना शुरू किया। 11 साल की उम्र में, उन्होंने अपनी पहली स्टॉक खरीदकर निवेश के क्षेत्र में कदम रखा।
उन्होंने पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय में अपनी पढ़ाई शुरू की और फिर नेब्रास्का विश्वविद्यालय से स्नातक किया। इसके बाद उन्होंने कोलंबिया बिजनेस स्कूल में दाखिला लिया, जहाँ उन्हें बेंजामिन ग्राहम जैसे प्रसिद्ध निवेशक से सीखने का मौका मिला।
1960 के दशक में, बुफे ने एक छोटी कपड़ा कंपनी बर्कशायर हैथवे को खरीदा। उन्होंने इसे एक विशाल होल्डिंग कंपनी में बदल दिया जो बीमा, ऊर्जा, वित्त, रेल, और खाद्य व्यवसायों में निवेश करती है। बर्कशायर हैथवे के शेयरधारक हर साल होने वाली बैठक में बुफे की सूझबूझ को सुनने के लिए इकट्ठा होते हैं, जिसे "वॉल स्ट्रीट की वुडस्टॉक" कहा जाता है।
बुरेन बुफे की जीवनशैली बहुत साधारण है। वह आज भी उसी घर में रहते हैं जो उन्होंने 1958 में खरीदा था। वे अपनी संपत्ति का अधिकांश हिस्सा चैरिटी में दान कर चुके हैं और दान करने के इस कार्य में वे बिल गेट्स के साथ मिलकर "द गिविंग प्लेज" अभियान चला रहे हैं, जिसके तहत अरबपति अपनी संपत्ति का बड़ा हिस्सा समाज कल्याण में दान करते हैं।
बुरेन बुफे की सफलता की कहानी इस बात का उदाहरण है कि सरलता, धैर्य, और लंबे समय तक किए गए निवेश से अद्भुत परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं। उनकी कहानी निवेशकों और व्यापारियों के लिए प्रेरणादायक है, और उनके सिद्धांत आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने पहले थे।
बुफे की जीवन कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि साधारण जीवन जीते हुए भी असाधारण सफलताएँ प्राप्त की जा सकती हैं, यदि आपके पास सही दृष्टिकोण और दृढ़ता हो।
राकेश झुनझुनवाला (5 जुलाई 1960 - 14 अगस्त 2022) भारत के प्रमुख शेयर बाजार निवेशक, व्यापारी और चार्टर्ड अकाउंटेंट थे। उन्हें "भारत का वॉरेन बफेट" और "बिग बुल" के नाम से भी जाना जाता था। उनका जन्म मुंबई, महाराष्ट्र में हुआ था, और उन्होंने सिडेनहैम कॉलेज से पढ़ाई करने के बाद इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (ICAI) से चार्टर्ड अकाउंटेंसी की डिग्री प्राप्त की।
राकेश झुनझुनवाला ने 1985 में मात्र 5,000 रुपये की पूंजी से शेयर बाजार में निवेश करना शुरू किया था। उन्होंने अपने पहले ही निवेश में लाभ कमाया और धीरे-धीरे वे भारत के सबसे सफल निवेशकों में से एक बन गए। उन्होंने टाटा मोटर्स, टाइटन, क्रिसिल, लुपिन और कई अन्य प्रमुख कंपनियों में निवेश किया था। उनकी निवेश रणनीति और मार्केट की गहरी समझ ने उन्हें बड़ी सफलता दिलाई।
पीटर लिंच की सफलता की कहानी (Peter Lynch Success Story in Hindi)
पीटर लिंच, अमेरिकी निवेशक, लेखक, और फिडेलिटी मैनेजमेंट एंड रिसर्च के प्रसिद्ध फंड मैनेजर थे। वह 1977 से 1990 तक मैगलन फंड के प्रमुख रहे। उनके नेतृत्व में, यह फंड 29% के वार्षिक रिटर्न के साथ बेहतरीन प्रदर्शन करने वाला म्यूचुअल फंड बन गया। उनकी रणनीति और सिद्धांतों ने लाखों निवेशकों को प्रेरित किया। आइए उनकी सफलता की कहानी पर एक नज़र डालें:
पीटर लिंच का जन्म 19 जनवरी 1944 को अमेरिका के न्यूटन, मैसाचुसेट्स में हुआ था। उन्होंने बोस्टन कॉलेज से 1965 में स्नातक की डिग्री और फिर वॉर्टन स्कूल ऑफ बिजनेस से MBA की डिग्री प्राप्त की।
पीटर लिंच ने 1969 में फिडेलिटी इन्वेस्टमेंट्स में विश्लेषक के रूप में काम शुरू किया। 1977 में उन्हें मैगलन फंड का प्रमुख बनाया गया। उस समय फंड का मूल्य केवल 18 मिलियन डॉलर था। लिंच की अनोखी निवेश शैली और गहरी शोध पद्धति के कारण, उन्होंने इस फंड को महज़ 13 वर्षों में 14 बिलियन डॉलर तक पहुंचा दिया।
पीटर लिंच की निवेश रणनीति का प्रमुख सिद्धांत था "इसे जानो जो तुम खरीद रहे हो"। उनका मानना था कि निवेशकों को उन कंपनियों में निवेश करना चाहिए जिनकी वे अच्छी तरह से समझ रखते हैं। वह ग्रोथ और वैल्यू इन्वेस्टिंग का मिश्रण अपनाते थे और छोटी से छोटी कंपनियों में भी अवसर देखते थे।
उनका प्रसिद्ध मंत्र था “10 बैगर्स” यानी ऐसी कंपनियाँ ढूंढना जिनका मूल्य दस गुना बढ़ सकता है। वह लंबी अवधि के निवेश पर जोर देते थे और छोटी अवधि की मार्केट चालों से विचलित नहीं होते थे।
पीटर लिंच ने 1990 में फिडेलिटी से रिटायरमेंट ले ली। रिटायरमेंट के बाद, उन्होंने निवेशकों के लिए कई पुस्तकें लिखीं, जिनमें सबसे प्रसिद्ध हैं:
इन पुस्तकों में उन्होंने अपनी निवेश रणनीतियों और अनुभवों को साझा किया।
पीटर लिंच की सफलता की कहानी निवेश की दुनिया में एक मिसाल है। उनकी अनुशासन और शोध पर आधारित निवेश शैली आज भी लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है|
राधाकिशन दमानी की सफलता की कहानी उन लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत है जो साधारण शुरुआत से असाधारण ऊंचाइयों तक पहुंचने की आकांक्षा रखते हैं। उनकी यात्रा एक साधारण स्टॉक ब्रोकिंग व्यवसाय से शुरू होकर भारत की सबसे बड़ी रिटेल चेन "DMart" के संस्थापक बनने तक की है। आइए जानते हैं उनकी प्रेरक सफलता की कहानी:
राधाकिशन दमानी का जन्म 1954 में एक साधारण मारवाड़ी परिवार में हुआ। उनका परिवार वित्तीय पृष्ठभूमि से था, और उनकी शिक्षा मुंबई के एक विश्वविद्यालय से हुई। हालांकि, उन्होंने अपने पहले वर्ष में ही कॉलेज छोड़ दिया और अपने पिता के बॉल-बेयरिंग व्यवसाय में शामिल हो गए। उनके जीवन की दिशा तब बदल गई जब उनके पिता का निधन हो गया, और इसके बाद उन्होंने स्टॉक मार्केट में कदम रखा।
राधाकिशन दमानी ने 1980 के दशक में शेयर बाजार में कदम रखा। उन्होंने शुरुआती दिनों में बतौर स्टॉकब्रोकर काम किया, लेकिन जल्द ही उन्होंने खुद के लिए निवेश करना शुरू कर दिया। दमानी को गहरी समझ थी कि बाजार में सफल होने के लिए धैर्य और अनुशासन की आवश्यकता होती है। वे दीर्घकालिक निवेश पर जोर देते थे और हमेशा उन कंपनियों पर ध्यान केंद्रित करते थे जो मजबूत बुनियादी ढांचे पर आधारित थीं।
2002 में, दमानी ने रिटेल मार्केट में कदम रखा और मुंबई में पहला DMart स्टोर खोला। DMart का व्यवसाय मॉडल काफी सरल था - किफायती दाम कम मार्जिन और उच्च वॉल्यूम पर ध्यान केंद्रित किया, जिससे DMart तेजी से लोकप्रिय हो गया। दमानी ने हमेशा लागत पर नियंत्रण बनाए रखा और कम से कम खर्च में व्यवसाय को चलाने पर जोर दिया।
DMart की सफलता का कारण दमानी का व्यवसाय के प्रति सटीक दृष्टिकोण और उनके ग्राहकों की जरूरतों की गहरी समझ है। 2017 में, कंपनी ने अपने शेयर बाजार में आईपीओ (IPO) लॉन्च किया, जो बहुत बड़ी सफलता साबित हुआ। IPO के बाद, राधाकिशन दमानी भारत के सबसे धनी व्यक्तियों में से एक बन गए। DMart आज पूरे भारत में सैकड़ों स्टोर के साथ एक प्रमुख रिटेल चेन है।
राधाकिशन दमानी की सफलता की कहानी हमें यह सिखाती है कि अगर आप सही दृष्टिकोण, धैर्य, और मेहनत के साथ किसी काम को करते हैं, तो सफलता निश्चित है। उनकी यात्रा सिर्फ आर्थिक सफलता की नहीं है, बल्कि यह सिखाती है कि सादगी और अनुशासन के साथ कैसे ऊंचाइयों तक पहुंचा जा सकता है।
आशीष धवन की सफलता(SUCCESS) की कहानी (संक्षेप में)
अशिश धवन एक प्रमुख भारतीय उद्यमी और परोपकारी हैं। उनका जन्म एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था, लेकिन उनकी मेहनत, संकल्प और शिक्षा ने उन्हें ऊँचाइयों तक पहुँचाया। उन्होंने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से MBA की पढ़ाई की और फिर भारत लौटकर निजी इक्विटी (Private Equity) के क्षेत्र में कदम रखा।
अशिश धवन ने क्रिसकैपिटल (ChrysCapital) की स्थापना की, जो भारत की सबसे सफल निजी इक्विटी कंपनियों में से एक है। इस कंपनी के माध्यम से उन्होंने कई भारतीय कंपनियों को सफलतापूर्वक निवेश किया और उभारा। व्यापार में सफलता के बाद, उन्होंने अपना ध्यान परोपकार और शिक्षा सुधारों की ओर केंद्रित किया।
वह सेंट्रल स्क्वायर फाउंडेशन (Central Square Foundation) के संस्थापक हैं, जो भारत में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए काम करता है। इसके अलावा, वह आशोका यूनिवर्सिटी के सह-संस्थापक भी हैं, जो एक प्रमुख उदार कला विश्वविद्यालय है।
अशिश धवन की कहानी एक ऐसे व्यक्ति की है, जिसने अपनी मेहनत, समर्पण और उदार दृष्टिकोण से व्यापारिक और सामाजिक क्षेत्रों में अमिट छाप छोड़ी है।
कुछ उपर्युक्त तरह से रहे प्रमुख 5 INVESTOR'S के कहानी इसी तरह के जानकारी वाली पोस्ट के लिए बने रहे |
0 Comments